Yug Purush

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समुन्दर का शिकारी : सम्राट मार्टिन की सल्तनत(भाग - 9)

बेलाडोना मे मौजूद जहाजी अपने कैप्टन सेठ की आज्ञा का इंतज़ार किये बिना, सिर्फ रॉन के कहने पर जहाज के किनारे पर लगे पिलर निकालने लगे... तभी एक और ड्रैगन जहाज की तरफ बढ़ा, जिसे देख रॉन ने उन लम्बे, नीचे से नुकीले पिलर्स मे से एक पिलर को उठाया और अपना हाथ  घुमाकर उस आते हुई ड्रैगन की ओर फेका... रॉन का निशाना  अचूक था.. वो पोल, सीधे जाकर जहाज की तरफ बढ़ते हुई ड्रैगन की बाई आँख मे घुसा और वो ड्रैगन जहाज तक आने से पहले ही समुन्दर मे दर्द से चिल्लाते हुए गिरने लगा...

"शराब पीने का यही फायदा है,   निशाना कभी नही चुकता... वैसे, मैने निशाना दायी आँख पर लगाया  था..."

दो ड्रैगन्स के गिरने के बाद... आसमान मे मड़रा रहे बाकी के ड्रैगन्स उतावले हो, एक साथ जहाज की तरफ बढे... वो सब अब आग उगलने कि बजाय, अपने विशाल शरीर से बेलाडोना को तहस नहस करने कि बजाय जहाज को सब ओर से घेरने लगे, ठीक उसी तरह जैसे उन्होंने, कैप्टेन आदित्य के जहाज को डुबोने से पहले घेरा था... सूरज की रोशनी तक जहाज पर अब नही पड़ रही थी. वहा डेक पर बाहर अंधेरा छाने लगा, जिसे देख सेठ ने तुरंत एक आदमी को बेलाडोना कि बाहर कि लाइट चालू करने का आदेश दिया....


जहाज कि बाहरी लाइट चालु होते ही रॉन, उन ड्रैगन्स को एक एक करके गिनने लगा... जो बेलाडोना को ऊपर से अपने पँख फैलाकर एक दूसरे से जुड़े हुए इस तरह घेर चुके थे कि सूरज कि एक किरण तक उनके बीच मे से होकर उनतक नहीं पहुंच रही थी... ये दृश्य जहा एक तरफ इतना भयावह था.. कि सबकी साँसे ऊपर नीचे होने लगी थी वही, रॉन कि ड्रैगन्स को गिनने कि ये हरकत सेठ को फिर से गुस्सा दिलाने लगी... क्यूंकि यदि इन ड्रैगन्स ने एक साथ उनपर आग बरसाया तो बेलाडोना मे मौजूद लोग तो जलेंगे ही.. साथ मे बेलाडोना कि रख तक किसी को नहीं मिलेगी... ऊपर उन ड्रैगन्स कि रक्त तप्त आँखे और गरम साँसे जो बेलाडोना कि डेक पर मौजूद हर एक शख्स महसूस कर सकता था... कईयों का तो दम तक घुटने लगा ऊपर का ये मंजर देखकर.....


"अब क्या इनसे हाथ मिलाने का विचार है, रॉन . जल्दी से इनपर आग फेको अपनी बन्दूक से .. या फिर बन्दूक मुझे दो..."

"मै इसलिए गिन रहा हु की.. ताकि अंदाजा लगा सकूँ की इनका लीडर कौन है.. इतने को तो मार नही पाएंगे.. बस उस एक को मारना है.."

उन ड्रैगन्स को गिनते हुई रॉन घूर घूर कर उन्हें देख भी रहा था और ड्रैगन्स के इस झुण्ड के मुखिया कि पहचान करने मे लगा था..

"भाई मेरे, तुझे अंदाजा भी है..? की यदि इन सबने एक साथ अपना मुँह फाड़ कर आग फेका तो हमारी राख़ तक भी खाक हो जाएगी ..? इसलिए सोच क्या रहा है.. इससे पहले की ये हमें भुने.. तु भुन डाल..."

"यदि ये एक साथ, आग फेकेंगे तो खुद भी जल जायेंगे. इतने पास -पास होने के कारण... ये हमें जलाने नही वाले.. बल्कि अपने वज़न से इस जहाज को डुबोने  वाले है.. गौर कर... जहाज समुन्दर के अंदर धंस  रहा है..."


रॉन के कहने पर सेठ ने गौर किया, तब उसे रॉन की बात सही जान पड़ी.. ये ड्रैगनस जहाज को समुन्दर मे नीचे दबा रहे थे....

"इनका लीडर.. को.. कौ.. कौन.."

सेठ का इतना बोलना था की रॉन ने जहाज के  झुण्ड के बीचो बीच मौज़ूद एक ड्रैगन की तरफ अपनी बन्दूक तान दी और तुरंत ट्रिगर दबा दिया...


वो ड्रैगन जलते हुई चिल्लाया और धड़ाम से जहाज पर आ गिरा... उसे जलता देख बाकि के ड्रैगन्स ने घेरा तोड़ दिया और वहा से इधर उधर भागने लगे.... जहाज मे मौज़ूद लोगो की मदद से उस जल रहे ड्रैगन को शिप से नीचे उस विशाल अंतहीन समुन्दर मे सड़ने के लिए फेक दिया गया...


जिसके थोड़ी देर बाद  वहा एक भी ड्रैगन का नामो निशान नही था.. सब आसमान मे चिल्लाते हुए वहा से उस घने कोहरे मे समा गये.. जहा से वो आए थे.जहाज तबाह तो हुआ था, कुछ लोग भी मारे गए थे और कुछ लोग तो डर के कारण जहाज तक छोड़ के भाग चुके थे... लेकिन फिर भी वहा मौज़ूद कैप्टन सेठ के चेहरे पर गर्व और ख़ुशी  का भाव था तो वही.... रॉन, जहाज मे नीचे बैठा शराब की बोतल को मुँह से लगाए अपने उस प्राचीन नक़्शे मे कुछ देख रहा था...


"सबको बोल दो, की खुली हवा खाने वापस यहाँ आ जाये... सिवाय कोई एक लड़की के... उसे मेरे कमरे मे भेजो..." नक्शा मोड़कर जेब मे डालते हुए रॉन बोला "और वो लड़की विदेशी होनी चाहिए.. ये इंडियन माल नही चाहिए अपने को.. ओके...? बहुत मज़ा आएगा, रे... अब.. "
.

ड्रैगन्स के हमले के बाद सभी जहाज मे बाहर आए... रिया, सीधे कैप्टन सेठ के पास जहाज के ताबही  के बारे मे चर्चा करने लगी और इस कठिन समय मे और नायर कि अनुपस्थिति मे उसकी सूझ बुझ और बहादुरी की प्रशंसा भी कर रही थी.

"बेलाडोना को बहुत नुक्सान हुआ है, मरम्मत का काम बाबत ज्यादा है. तुम्हारे नेवी के कितने आदमी  गए..?"

"दो ज़िंदा जल गए और तीन घायल... उन दो को सम्मान देने का इंतज़ाम किया जा रहा है. रॉन ने अच्छा काम किया. यदि वो नही होता तो शायद ही हम इन आसमानी दानवो का मुक़ाबला कर पाते..."

"उन आसमानी दानवो का मुक़ाबला रॉन ने नही, उसकी बन्दूक ने किया है, मैं अंदर से देख रही थी ... यदि वो हमें किसी तरह मिल जाए तो..."

"नही, उसकी सूझ बुझ भी काम आयी है.... जैसे आखिरी मे जब ड्रैगन्स ने जहाज को घेर कर समुन्दर मे डूबा रहे थे तो उनके अल्फा ड्रैगन को ढूंढ कर उसे मारना...  मै ये नहीं कर सकता था.. अल्फा ड्रैगन नाम कि चीज तक मुझे नहीं पता.. फिर उसे ढूंढ कर मारना तो कोसो दूर कि बात थी...पर इन आसमानी दानवो के बारे मे रॉन को इतना कैसे पता, मैम...??"


"रॉन... हम्म.. इसीलिए तो मै उसे यहाँ लायी थी. रॉन किसी खास मक़सद से यहाँ हमारे साथ आया है..  हमें जल्द से जल्द उसका ये खास मक़सद मालूम करना पड़ेगा. पर फिलहाल सबसे बडी समस्या हमारे साथ ये है कि ड्रैगन्स वापस आ सकते है, तब हम क्या करेंगे..? कुछ सोचा है?"


इसका कैप्टन सेठ के पास कोई जवाब नही था.... सिवाय इसके कि वो सब बहादुरी से ड्रैगन्स से लड़ते हुए मर जाए...

"ड्रैगन्स वापस जरूर आएंगे... जानेमन और अबकी बार इससे भी बड़ी तादात मे... " जहाज के अंदर से एक विदेशी लड़की के साथ काम तमाम करके निकलते हुई रॉन बोला...

"तुम्हे आगे के बारे मे कुछ भी आईडिया है..? यदि इस बार हमें कुछ बता दोगे तो शायद हम पहले से तैयार रहे... "रिया ने अपना चेहरा रॉन कि तरफ किया

"एक शर्त पर..."रॉन मुस्कुराया...

"कैसी शर्त...?"

"उम्मम्मम... अभी छोडो.. वो मै बाद मे बताऊंगा.. अभी मै उस विदेशी कन्या के पास जा रहा.. क्या सॉलिड आइटम है, फिर से मन करने लगा " इतना कहकर रॉन वहा से वापस जहाज के अंदर जाने के लिए मुड़ा ही था कि  सेठ, रॉन के सामने आ गया...


रॉन, सेठ के बायें से निकलने के लिए थोड़ा किनारे खिसका लेकिन सेठ फिर से रॉन के सामने खड़ा हो गया.. जिसके बाद रॉन, सेठ जे दाहिनी तरफ से निकलने के लिए फिर हल्का से तिरछा हुआ तो सेठ फिर से खिसक कर रॉन के सामने आ गया...

"मुझे मालूम है की तुम मेरा शुक्रिया अदा करोगे, मुझे सलाम करोगे.. मेरी वीरता की किस्से सबको सुनाओगे की मै कितना महान समुन्दर का शिकारी हुँ... पर ऐसा करने की कोई जरूरत नही... "

"मेरा ऐसा कोई भी इरादा नही है, मै केवल तुम्हारी बन्दूक देखना चाहता हु  और वो नीले - हरे रंग का बारूद भी.. जो तुमने बन्दूक के नीचे बने बॉक्स मे डाला था और तुम्हारी बन्दूक मे दो -दो ट्रिगर क्यों है...??"

"अच्छा, तो बन्दूक देखना है... पर वो तो गिर गई..."

"कहा गिर गई.."

"समुन्दर  मे.."

"कब..."

"याद नही... "

"तुम शांति से देते हो अपनी बन्दूक या मै जबरदस्ती करू...? मेरे दो आदमी मारे गए और यदि तुमने पहले से ही हमें इस खतरे से अवगत  कराया होता तो वो आज ज़िंदा होते... इसलिए तुम्हारी और हम सबकी भलाई इसी मे है की तुम अपनी बन्दूक मुझे दे दो..."


"अपने दिमाग़ का इलाज करवाओ.. मै अपनी चीज़े किसी को नही देता, सिवाय एक के.. और उसे लेने के लिए तुम्हे लड़की होना पड़ेगा... और मैने अवगत कराया था, खतरे से, ड्रैगन्स से.. पर तुम्ही लोगो को मेरी बाते बकवास लग रही थी.. क्यों, रिया बेबी... "

"Behave yourself... "

"अच्छा तो, मेरे सामने से हट तू बदसूरत आदमी.... वरना मै तुझे भी उन ड्रैगन की तरह भुन कर रख दूंगा तो सारी कप्तानी निकाल जाएगी .. साली, मेरी शराब कहा गई..."

सेठ, सामने से हट गया और गुस्से से रॉन को वहा से जाते हुए देखता रहा....
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"क्या हुआ ? इतने गुस्से मे क्यों हो..."रिया,  सेठ से पूछी
"मैम, मेरे आदमियों मे से तीन लोग हथियार बनाने मे माहिर है, यदि रॉन हमें अपनी बन्दूक दे देता तो.. हम उसी आधार पर उस तरह की बन्दूक का निर्माण  कर सकते थे... उस तरह विशाल भले ही ना बनती.. पर मुक़ाबला करने मे आसानी होती, अगली बार..."

"यदि.. ऐसा है तो मै.. रॉन से बात करती हु..."इतना कहकर रिया वहा से रॉन के कमरे की तरफ चल दी...

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इधर आदित्य, राज के मुँह से समुन्दर का शिकारी, शब्द सुनकर जोर जोर से हसने लगा... जब राज ने खुद को समुन्दर का शिकारी बताया तो....

"हस क्यों रहे हो..."राज ने आदित्य से पूछा

"तेरी बात सुनकर हस रहा हु... क्या बोला तू खुद को , समुन्दर का शिकारी...? साला, शक्ल देखा है अपनी "


राज चुप रहा, उसने आदित्य को खुदपर हॅसता देख कुछ नही कहा... उल्टा आदित्य को हॅसता देख राज भी मुस्कुराने लगा.. तभी आदित्य की नज़र समुन्दर मे बहते हुई किसी चीज  पर पड़ी..

"अबे ये क्या है... इंसान है या, फिर किसी जानवर से पन्गा होने वाला है.."

"इंसान ही लग रहा है.. चलो, नाव उसकी तरफ घुमाते है.. वो शायद तैर रहा है, या फिर डूब रहा है... चलो देखते है..."

आदित्य और राज ने नाव की दिशा उस बहते हुई आदमी के तरफ की... राज ने पतवार से उस बहते हुई आदमी के शरीर को रोका और आदित्य की मदद से उसे नाव के ऊपर लाया...

"ये चुतिया , समुन्दर मे तैर रहा था क्या...? क्यूंकि किसी चीज से हमला हुआ होता तो कुछ निशान वगैरह भी होते... ये ज़िंदा भी है या नही...?"

"इसके कपडे तुम्हारे कपड़ो की तरह है... ये तुम्हारे कबीले का ही होगा... तुम इसे नही जानते...?"

"वो तो मै समझ गया... "उस आदमी को पलटाकर आदित्य ने उसके बैच को देखा... "कैप्टन, नायर... ये मेरी तरह कैप्टन है, किसी शिप का... बेलाडोना.. नाम सुना -सुना लग रहा है... "

"और ये ज़िंदा भी है..."उस आदमी का सीना दबाते हुए राज बोला...


राज, उस आदमी के सीने को अपने दोनों हाथो से लगातार दबाने लगा..जिसके थोड़ी ही देर बाद नायर के अंदर घुसा समुन्दर का खारा पानी बाहर आया......

"तुझे, ये cpr देना भी आता है...? इन जंगलियों के बीच रहने के बावज़ूद..?"आदित्य, राज को देख हैरान था...

"जीवन की उत्पत्ति समुन्दर से हुई है, तो फिर उसके तरीको से भला मै कैसे अछूता रह जाता..."राज ने कहा

नायर खासते हुए उठा.. पर उसमे इतनी ताकत नही थी की वो उठकर बैठ सके.. वो वापस नाव पर लेट गया और लेटे -लेटे ही बोला...

"तुम दोनों कौन हो और वो बेहूदा जंगली कहा है..."

"जंगली..? राज, ये देख.. ये तेरी बात कर रहा है..."आदित्य ने राज से कहा और नायर की नज़र राज पर पड़ी....

"मै इसकी नही, अपने जहाज के जंगली की बात कर रहा हु, जिसने मुझे समुन्दर मे गिराया था.. उसे मै जान से मार दूंगा.."

"चुप बे... इतना दम तो है नही की.. खुद बैठ सके और जान से मारेगा.. तेरे साथ हुआ क्या था..?"ताना मारते हुए आदित्य बोला

"मै बेलाडोना  जहाज का कैप्टन हु, रात मे जहाज मे मौज़ूद एक जंगली से मेरी बहस हुई और फिर बाद मे लड़ाई .. उसने मुझे धोखे से समुन्दर मे गिरा दिया.. अगर दुबारा मुझे वो जंगली मिला तो..."

"बेलाडोना...?"आदित्य फिर से कुछ सोचने लगा... "ये जहाज जिसकी तु बात कर रहा कही, Apex Predator कंपनी का तो नही...? जो कोलकाता की एक शिपिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी है..?"

"हाँ... लेकिन  तुम्हे कैसे मालूम..."

"मै भी उसी कंपनी के एक शिप  का कैप्टन  था.. पर अफ़सोस की मेरा जहाज डूब गया... बड़ी मुश्किल से मैने अपनी जान बचायी. मुझे दुख मेरे जहाज डूबने का नहीं है.. बल्कि उस जहाज के साथ साथ जो लड़किया डूब गई उसका दुख है.. क्या मस्त -मस्त अप्सराये थी.. हर रात दो -तीन के साथ प्यार करता था.. पर इस साले मूत भरे पानी से मेरी ये ख़ुशी बर्दाश्त नहीं हुई और जिस तरह तु अभी बह रहा था ना .. मै भी वैसे ही बहते हुई, एक आइलैंड तक जा पंहुचा था..."

"मैने.. मेरा मतलब.. हमारे लोगो ने तुम्हारी जान बचायी.. ये भी तो बताओ.. या भूल गए.."इतने मे राज बोला...

"तुम लोगो ने मेरी जान बचायी..? साले ज़िंदा खाने वले थे तुम्हारे लोग मुझे..."

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5 Comments

Hayati ansari

29-Nov-2021 08:19 AM

Bhut badhiya

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Shalini Sharma

12-Oct-2021 11:17 PM

Khubsurat part

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Dr. SAGHEER AHMAD SIDDIQUI

01-Oct-2021 08:51 PM

Nice

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